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rakkshash
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Posted on 02-26-07 12:50
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अबीर गुलाल की थाल हाथ में द्वार लगायो बंदनवार नेह के रंगों से चौक पूजा आयो होली का त्यौहार सनन सनन सन चले पवनिया डोले भँवरा महुआ डाल बिन गीत बिन साज के झूमत हर नर नारी कोई उड़ावे रंग हवा में कोई रंगे गाल कोई बजावे ढोल पखावज कोई देवत ठुमरी पे दाद भाग रही देखो राधा पीछे पीछे ग्वाल बाल आ झपट रंग लगायो बेसुध राधा न जानी नटखट कान्हा की चाल
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bahunkto
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Posted on 02-26-07 12:51
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sabai lai subhakamana..tara ma manaudina..afno mann ko icchya.. pahadey culture matra follow garchu. holi pahad ma manaudainan..tara aru sathi haru lai subhakamana mero tarfa bata.
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rakkshash
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Posted on 02-26-07 1:04
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आयी होली आयी बजने लगे उमंग के साज इन्द्रधनुषीय रंगों से रंग दो पिया आज न भाए रंग अबीर का न सोहे रंग गुलाल नेह के रंगों से पिया रंग दो चुनरिया लाल न जानूँ बात सुरों की है अनजानी हर ताल होली के मद में नाचूंगी तुम संग हो बेसुध बिन साज बाट तुम्हारी मैं जोहुंगी नयन बिछाए हर राह भूल न जाना बात मिलन की आई होली आज
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